2008 जनवरी में जब मैंने निवेश करना शुरू किया था तब बाम्बे स्टॉक एक्स्चंगे का सूचकांक अपने समय के उच्चतम स्तरो पर था, और सभी उसके 25 ,000 और 30 ,000 तक जाने का कयास लगा रहे थे. चूँकि मै भी मार्केट से अनभिज्ञ था और पहली बार निवेश कर रहा था वो भी टैक्स बचने के लिए, मैंने अपने LIC एजेंट को ही अपना निवेश गुरु मान कर उसके कहे अनुसार 65000 रुपये का चेक काट दिया. उसके 2 दिन बाद से ही मार्केट ने अपना रुख बदला और ऐसा बदला कि 3 साल तक लोगो का चैन हराम कर दिया. कई कंपनियां समाप्त हो गई और कई आज भी 2008 के स्तर से 80-90 % नीचे चल रही है.
ये तो मैंने अपनी बात लिखी है. परन्तु यही हाल ज्यादातर लोगो का होता है स्टाक मार्केट में. लोग किसी के कहे पे अपना सारा का सारा पैसा लगा देते हैं और भारी नुकसान उठाते हैं. और दुःख कि बात ये हैं कि आज कल के टी वी चैनेल्स भी लोगो को सही जानकारी न देते हुए गलत ढंग से निवेश कि या यो कह ले सट्टा खेलने कि सलाह देते रहते हैं. इन प्रोग्राम के नाम भी ऐसे होते हैं कि या तो आम आदमी घबरा जाये या फिर लालच में आ जाये. निवेश या investment कोई खेल नहीं है, कोई लड़ाई नहीं है और न ही रातो रात अमीर बनाने का नुस्खा. अगर आप अपने बच्चे को पढ़ने के लिए अपने खर्चे में कटौती करते हैं या फिर आम का बगीचा लगते हैं तो वो भी निवेश है.
2008 में अपने पोर्टफोलियो में भरी नुकसान देखने के बाद भी मै उन निवेशो को बेच नहीं पाया क्योंकि टैक्स सविंग मुचुअल फंड्स को आप तीन से पहले नहीं बेच सकते. और यही शायद मेरे पोर्टफोलियो के लिए उत्तम साबित हुआ. परन्तु मैंने साथ साथ ही तमाम सारी जानकारियां इकट्ठी की और अपना निवेश बंद नहीं किया. ये सारा ज्ञान मुझे पिचले तीन से चार साल के अपने जीवन के कठिन छड़ो में मिला इसलिए काफी कुछ अनुभव जनित ही है. मै अपने आपको 'राकेश झुनझुनवाला' या 'वारेन बफेट' कि श्रेणी में नहीं रख रहा हूँ और न ही निकट भविष्य में ऐसी कोई संभावना है. हाँ किन्तु मैंने यह तो जरूर समझा है कि एक आम आदमी निवेश कैसे करे और उससे क्या कुछ प्राप्त कर सकता है.
इन्ही सब बातो को ध्यान में रखकर मै अपने अनुभव और ज्ञान को लोगो तक पहुचाना चाहता हूँ. यहाँ मै किसी विशिष्ट कंपनी या 'टिप' नहीं बताऊंगा, बल्कि आप लोगो को ये बताऊंगा कि निवश का मतलब क्या है और निवेश से सम्बन्ध में आप कैसे फैसला करें. मै देख रहा हूँ कि इंग्लिश में बहुत सारी बाते उपलब्ध है किन्तु हिंदी में ऐसा बहुत ही कम या नहीं के बराबर है. कुछ हिंदी टी वी बिज़नस चैनेल हैं, परन्तु अपने के चक्कर में तरह तरह कि भ्रांतियां और तरीके सुझाते हैं. मैं यहाँ जो भी लिखने वाला हूँ वो या तो मेरा खुद का अनुभव है या फिर मेरी कुछ पढ़ी हुई किताबो का. मै आप लोगो को उन किताबो का हवाला भी दूंगा. मेरा ये प्रयास रहेगा कि आप लोगो का विचार बदले और आप अपना निर्णय स्वयं ले सके.
आप मुझे अपने प्रश्न और सुझाव हिंदी या English में कमेन्ट में पोस्ट कर सकते हैं. धन्यवाद.
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