Tuesday, 8 January 2013

What is Idiotic and fishy behind Insurance + other Benefit plans

After consistently paying Jeevan Saral premium for last 5 years, I suddenly opened my excel sheet and found that it is not worth paying any more. Jeevan Saral (Jeevan Saral LIC Plan) is a insurance plus investment scheme by LIC, India's largest insurer. I got similar investment cum insurance offer from HDFC, called money back plan. I will put all such schemes which offer insurance plus investment benefit in one basket including ULIPS and call it FISHY IDIOTIC SCHEMES.  There are following reasons you should avoid such schemes and not to club your safety with returns:

  1. They underestimate the value of insurance coverage: You take any such scheme and you will find that insurance coverage after death is far less than any term plan. For an example Jeevan Saral offer 7.5 Lac of death claim for an annual premium of 36 thousands, where as life term policy of worth 12 thousand annual premium offers 1 crore of life coverage. Similarly policies from HDFC or ICICI. 
  2. You do not buy helmet to get return, selling it after 5 years: Accident is accident and insurance is insurance. There is nothing heroic about wearing helmet or buying insurance. You do it because you do not want to die or leave your family in mess after your death. How can you expect a return out of it! Death is worst thing will happen to you and your family but less coverage is worst than this, because they have to survive. Do not leave your family under-covered. 
  3. No bond can replace PPF for PENSION: If you consider 15 years of debt instrument, PPF is best thing happen for an Indian after tax return. Currently it is giving 8.6% tax free return and historically it is few basis point higher than Government issued AAA rated bonds. But these bonds are taxable where as PPF is not. None of the insurance schemes are giving 8.5% return in 15 years of horizon and no one can guarantee any such return in 25 to 30 years of horizon except government bond. Every one else is speaking a LIE. Even they can not guarantee their existence (ROFL).  
  4. ULIP is biggest fraud in equity market and insurance: Significant portion of your money go on paying insurance agents, fund managers, insurance company's snacks. In first years it is as high as 40%. Rest of the money will be invested in some business (listed company). Now you think that which business will give you return of 20%+ accumulation to cover this loss and make you in profit. What if market become sluggish for 5 years like 2008 to 2012. LIC will invest in government companies for sure as it is government's largest bailer. So why do not I select a better fund manager than LIC?
  5. Government has passed a bill that LIC now can invest up to 30% in equity: Even if you are not buying ULIP, LIC will buy governemnt company from 30% of your investment. Now two problems arise, first LIC's credit rating would go down. Second, given the level of innovation and skill sets in government companies, would you think that they will even sustain for next 20 years!   
  6. RETURN! RETURN!! RETURN!!! You can not shit where you eat, and vice-verse. So you can not expect return from your insurance and you can not expect insurance from your investment. So buy term plan for your insurance which will cover all your family's future need. And do SIP in 3-4, 5* rated mutual fund for your investment. Now choosing a fund manager is in your hand, and you can get a good return from India's underdeveloped economy in next 15-20 years. Even you can choose to prepayment your costly home loan on regular basis. 
  7. These schemes are for poor people of India: Someone who is poor in education and in resources can opt this scheme. Also these schemes may be good for small saving people, but definitely not for a person who pay 20 thousand plus EMI on home loan. Your insurance adviser can go up to an extent where he will say that "its human nature not to save, and spend what ever one earns unless a GODman like LIC adviser do not arrive and forcibly make you to invest". I believe that I am not taking to these kind of irresponsible people. 
So next time when your insurance adviser show up, do not slap him and behave nicely but debate with him. Make an excel sheet to prove your point and tell him that you know about term policy and mutual fund. Sell me these products not those which gives you 25% of brokerage from my hard earned money. Period. 

Thursday, 26 April 2012

निवेश के मूल तत्व: Fundamentals of Investments

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निवेश का अर्थ: What is Investment?
निवेश: Investment
 
यहाँ हम निवेश के कुछ मूलभूत तत्थ्यो को समझेंगे. पिछले पेज के उदहारण से ही शुरुआत करते हैं. जहाँ कि एक खेत को 100 भागो के बाँट कर 50 भाग कुछ दोस्तों को देने कि बात थी. अब पूरी दुनिया में तो हमारे दोस्त हो नहीं सकते और दोस्तों और रिश्तेदारो के पैसे पर सिर्फ "टाटा मोटर्स" या "रिलाइंस इन्फ्रा" तो खड़ा नहीं हो सकता. इसलिए उद्योग पति आम जनता के पास जा के निवेश कि दरकार करता है. अब हमें ये समझना होगा कि क्यो हम उस 'खेत' या फिर 'कंपनी' का शेयर खरीदें. तो यहाँ निवेश के मूल तत्व सामने आते हैं. सबसे पहले तो आपको अपने अन्दर झांक के देखना होगा कि आपके पास वो क्षमता है की आप निवेश कर सके. तो कुछ निम्न लिखित बातो को समझाना होगा.
निवेश के मूल तत्व:
  1. जोखिम उठाने की क्षमता (Risk appetite)
  2.  निवेश हेतु धन (Capital) 
  3. निवेश की अवधि (Horizon) 
  4. निवेश का उद्देश्य 
  5. सुनियोजित निवेश (SIP)
  6.  लालच और परिणाम
जोखिम उठाने की क्षमता (Risk appetite): (The biggest risk is not taking risk: सबसे बड़ा जोखिम यह है कि कोई जोखिम ही न उठाये.) किसी भी प्रकार के निवेश में जोखिम रहता ही है. क्योंकि बहुत सारी परिस्थियो का आकलन समय से पहले नहीं लगाया जा सकता. जैसे कि अपने पिछले उदहारण को ही ले लें, तो हर जगह कि जलवायु हमेशा ही स्थिर नहीं रहती. इसी परिवर्तन के कारण कभी अच्छी फसल होगी कभी बुरी. मगर अगर खेत अच्छी जगह पर है तो इस बात कि सम्भावना कम है और अगर किसी साल कुछ गड़बड़ हो भी गई तो अगली साल उसकी पूर्ती संभावित है. इन बातो का अर्थ यह नहीं है कि सारा निवेश भगवान् भरोसे चलता है, मगर फिर भी बहुत सारी बातो पर मनुष्य का नियंत्रण नहीं होता.

जोखिम उठाने कि क्षमता पूर्ण रूप से आप पर निर्भर करती है. अगर आपको अपने बेटी कि शादी निकट भविष्य में करनी है या फिर आपकी आमदनी में बहुत स्थिरता नहीं है, तो आपका रिस्क प्रोफाइल कम है. परन्तु अगर अभी आपकी शादी भी नहीं हुई है या फिर आप पेंशन भोगी है और कुछ पैसे बच कर अगली पीढ़ी को देना चाहते हैं तो आपकी रिस्क क्षमता ज्यादा है. यहाँ मै फिर से एक बात साफ़ कर दूं कि जोखिम का ये मतलब बिलकुल नहीं है कि आप अपनी गाढ़ी कमाई को दाव पर लगा दे. रिस्क का सिर्फ इतना मतलब है कि आपको अपने पैसे कि जरूरत कितने दिनों के बाद पड़ती है. हमारे उदाहरण कि अनुसार अगर अगले दो वर्षो तक सूखा रहा तो क्या आपका घर चल पायेगा. क्योकि उस परिस्थिति में आपके खेत कि कीमत गिर चुकी होगी और आपके पास इन्तजार के सिवा कोई चारा नहीं होगा. (मगर क्या सिर्फ इंतज़ार आपके पैसो को फिर से बढ़ा देगा? इसके बारे में हम विस्तार से बात करेंगे)

तो जोखिम उठाने कि क्षमता का सीधा मतलब आपके व्यक्तित्व से है. अगर आप निवेश कर रहे हैं तो ये मान के चाहिए कि बहुत जादा धैर्य रखना पड़ेगा नहीं तो हानि कि सम्भावना बहुत बढ़ जाती है. तो सीधे सी बात ये है कि "काम करने से पहले जितना सोचना है सोचिये मगर एक बार निर्णय लेने के बाद उस पथ को मत छोड़िये." (विवेकानंद). धैर्य रखना या छोड़ देना पूरी तरह से ज्ञान के ऊपर है. अगर आपने अच्छी तरह से जांच परख कर किसी खेत में निवेश किया है तो एक दो साल कि कम बारिश भी आपको परेशान नहीं करनी चाहिए, किन्तु अगर बिना उचित समय व्यतीत किये सिर्फ किसी के कहने पर निवेश किया है तो फिर भगवान् ही मालिक है. हम इन बातो पर भी चर्चा करेंगे.

बहुत सारे लोगो में ये भ्रान्ति है कि उम्र का जोखिम उठाने से कुछ लेना देना है. यह बात बिलकुल गलत है (बेंजामिन ग्राहम). ये पूर्ण रूप से आपकी जिम्मेदारियों और बचत पर निर्भर है. उस बचत कि जिसकी आपको जरूरत नहीं है अगले कई वर्षो तक ( पिछले उदहारण के अनुसार, सूखा दो वर्षो तक भी रह सकता है और आपके धर्य कि परीक्षा ले सकता है ). जिस प्रकार सीखने कि कोई उम्र नहीं होती, निवेश कि भी कोई उम्र नहीं है. हाँ निवेश का उद्देश्य अलग हो सकता है. और जैसा मै बारबार कहता आ रहा हूँ कि निवेश रातो रात 'अम्बानी' बनने का मंत्र नहीं है, इस प्रकार के अव्यवहारिक लक्ष्य दिमाग में रखने से सिवाय कष्ट और हानि के कुछ भी नहीं प्राप्त होगा.

अब मै ये मान रहा हूँ कि जोखिम क्षमता के बारे में आप लोगो कि कुछ विचार धारणा बन गई है. आगे के लेख इस अवधारणा को और साफ़ तौर पर सामने रखेंगे.
आपको ये लेख कैसा लगा, Comment करना न भूले. धन्यवाद.
आगामी लेख:
  1. निवेश हेतु धन (Capital) 
  2. निवेश की अवधि (Horizon)
  3.  निवेश का उद्देश्य 
  4. सुनियोजित निवेश (SIP) 
  5. लालच और परिणाम

निवेश का अर्थ: What is Investment?

निवेश: Investment

किसी भी प्रकार से अपने बचे हुए धन को प्रयोग करना ताकि वो भविष्य में अपनी कीमत 'value' बरकरार रख सके या अधिक 'Increment' हो जाये निवेश है. चूकी महगाई दर या 'inflation' लगातार किसी सामान या सुविधा के मूल्य को बढ़ता जाता है, और वही सामान या सेवा भविष्य में उतने ही पैसे में नहीं मिलती. मतलब की उतने ही धन की कीमत का ह्रास या 'decrement' हो चुका है. एक उदहारण के तौर पर अगर दाल की कीमत आज से पांच साल पहले 40 रुपये किलो थी और आज के दिन 80 रुपये किलो है तो 40 रुपये अपनी कीमत खो करके 20 रुपये का हो चुका है. अब अगर यही 40 रुपये निवेश के पांच साल बाद 100 रुपये बन जाये तो इसका अर्थ है की आप ने मुद्रा स्फीति (Inflation) को पीछे कर दिया है. आप कैसे भी इस बात को घुमा फिर के कहें निवेश का वास्तविक उद्देश्य यही है. (Inteligent Investor : by Benjamin Graham)

अब आप अपना धन घर, सोना, स्टॉक, बांड या मुचुअल फंड खरीदने में लगते हैं ये आपके ऊपर है. कई बार आज की पीढ़ी को ये भ्रम हो गया है की सिर्फ शेयर खरीदना ही निवेश है. हम लोग इन सब निवेश की श्रेणियो की चर्चा करेंगे, परन्तु अभी यह जान ले कि टी वी या बिज़नस अखबार में लिखे जाने वाले लेख कितने भ्रमित हैं. मै यहाँ पर निवेश और खर्च, अथवा अपने खर्चे को क्योँ कम रखना चाहिए पर बात नहीं करूँगा. उसके लिए आप (Rich Dad & Poor Dad : By Robert Keyosaki) की किताब पढ़ सकते हैं.

जब आप एक आम का पेड़ लगाते हैं, तो उससे ये उम्मीद नहीं रखते की अगले दो साल में वो आपको बहुत सारा फल देगा जिसे आप खायेंगे भी और बेचेंगे भी. बल्कि आप ये सोचते है कि आपके आने वाली पीढ़िया इसे इस्तेमाल करेंगी. निवेश भी ऐसी ही चीज़ है, जिसको करने में बहुत वक्त और मेहनत लगाती है परन्तु जब एक बार निवेश कि जड़ गहरी हो जाती है तो वो आपको फल और छाया देता है, और अगली पीढ़े के लिए वरदान बन जाता है. तो हम यहाँ 'quick money' कि बात नहीं कर रहे. हम यहाँ ताउम्र चलने वाले 'rich dividend' और मुद्रा स्फीति को पीछे छोड़ने की बात कर रहे हैं. इसलिए किसी भी प्रकार की इंट्रा-डे ट्रेडिंग की टिप नहीं दूंगा.

शेयर मार्केट में निवेश: अगर मै एक खेत के 100 टुकडे कर दूं और अपने कुल 50 हिस्से को 50 दोस्तों में बेच दूं और कहूं की मुझे इसके बदले कुछ पैसे दो. उस पैसे से मै इसमे कुछ फसल उगाऊंगा और जो भी 'लाभ' मिलेगा उसे 100 भाग में बाँट कर के 50 हिस्सा अपने पास रखू और बाकि का 50 हिस्सा बाकि लोगो को दे दू. कुल फसल में से मजदूरी, खाद-पानी, बीज, बोआई, और अपना खर्चा काटने के बाद जो बचता है वही लाभ है. तो यहाँ पर मैंने अपने खेत के 100 शेअर 50 लोगो में बेचे हैं. मै उस खेत का CEO हूँ लोगो ने मेरी क्षमता देखते हुए या मुझ पे विश्वास करते हुए मेरे खेत में निवेश किया है. प्रति वर्ष फसल से मिलाने वाला पैसा 'dividend' है और जमीन की जो कीमत बढ़ रही है वो निवेश का बढ़ना है.

यही बात किसी कंपनी पर भी लागू होती है. उसका CEO कैसा है, जमीन कैसी है, पिछले कई वर्षो से खेती कैसी हुई है, इत्यादि बातो से उस कंपनी के प्रति शेअर का मूल्य निश्चित होता है. जब हम दिन प्रतिदिन सेंसेक्स के उतार चढाव की बात देखते हैं तो पिछली बातें बेमानी लगती है. किन्तु सत्य यही है कि सच्चा निवेश दिन प्रतिदिन नहीं किया जाता, वो वर्षो में एक बार किया जाता है और अधिक से अधिक समय के लिए किया जाता है. जिस प्रकार हर पेड़ एक बराबर फल नहीं देता और जो ज्यादा देता है उसका ताना नहीं काटा जाता, सच्चा निवेश भी दिन प्रतिदिन के आधार पर नहीं निर्णित होता.

निवेश के मूल तत्व जानने के लिए नीचे क्लिक करे:
निवेश के मूल तत्व: Fundamentals of Investments

Company Analysis: A negative example.

Company Analysis: DLF - A negative example. It is a horror to see debt to equity ratio for DLF. It is whopping 1.15, much higher than any suggested reference. It is keep increasing from 2008 onward. As a reality company, many people think that the loan book can be covered by asset against it. I do not believe on this. A house or a shop by DLF is not a product for every one. If industrial growth and corporate jobs are not increasing by 15% per year, to whom DLF will sell/lease it's houses?
DLF price chart since IPO: Courtesy: Moneycontrol.com

We will only consider prices and earning growth after IPO. In 2007 when investor madly rushing to buy reality stocks, DLF having per share earning 2.65, kept quoting Rs. 1000 per share continuously between 2007 and 2008. Which means a PE of 350+. Gosh!!! Now please some financial adviser tell me that when will DLF's earning match this PE.

From last few months despite tripling its net profit from 2007, it is quoting around Rs. 200 per share. Still PE ratio is 25+, which I consider as upper side in the given market condition and theory. But today no one recommend DLF. If at all, someone ever want to invest in DLF, it is now. But I still do not recommend reality stock for long term investor becasue it is too much dependent on socio-economic condition of particular region where company is more concentrated. There are other reasons to not to invest in reality companies. Every one know about the spurious land deals in India. Land acquisition requires black money. Now common investor do not know which part of balance sheet is going to pay such unknown amount.

कंपनी का विश्लेषण: TATA MOTORS

आज हम एक कंपनी का विश्लेषण करेंगे. बहुत ही प्रसिद्द कम्पनी है, टाटा मोटर्स (TATA MOTORS). कार, ट्रक, SUV इत्यादी बनती है. अभी तक हमने जिन बिन्दुओं पर चर्चा की है, उसके प्रकाश में हम इसे आंकेंगे.
सबसे पहली बात: कंपनी का CEO : श्री रतन टाटा जी के लिए मेरे दिल में बहुत इज्जत है, एक उद्योग पति और एक इंसान के रूप में दोनों तरह. ये पचासो कंपनियो के चेअरमन रहे हैं. कई उद्योगो को सिरे से स्थापित किया है. अतः अगर ये कुछ नया करेंगे तो इसके पीछे इनकी दूर-दृष्टिता जरूर होगी. अतः इस मामले में इस कंपनी को 5 में से 5 अंक दिए जा सकते हैं.
पिछले 10 सालो का लाभ: 2001 में टाटा मोटर्स की कुल आय 7 हजार करोड़ थी और मुनाफा 300 करोड़ के आस पास था. 1 शेअर का मूल्य (adjusting split) 15 से 20 रुपये था. 10 साल बाद 2011 में वार्षिक आय 48 हजार करोड़ रुपये है और मुनाफा 4700 करोड़ है. आज 1 शेअर का मूल्य 200 रुपये के आस पास है.
इस हिसाब से जिसने भी टाटा मोटर्स के शेअर्स 10 साल रखे होगे उन्हें 10 गुना से ज्यादा का लाभ मिला. किन्तु बीच में बहुत सारे उतर चढाव आये जिसमे की शेअर के भाव बहुत गिरे, मगर टाटा को पता था की इस स्थिति से कैसे निपटना है. अब नैनो का क्या होगा ये भगवान् ही जाने.
कंपनी का विविधिकरण: टाटा मोटर्स खुद में एक ऐसी कमानी है को ऑटो मोबाइल के क्षेत्र में बड़ी गाड़ी से लेकर छोटी गाड़ियों तक सब कुछ बनती है. जहाँ मारुती सुजुकी सिर्फ कार बनती है और हीरो सिर्फ 'Bikes', टाटा मोटर्स ट्रक से ले कर कार तक सब कुछ बनती है.
इनोवेशन (Innovation) और नए उत्पाद : पिछले १० सालो में टाटा मोटर्स ने कई साड़ी गाड़ियाँ निकाली. इनमे इनकी सबसे हिट गाडी 'Tata Indica' भी है जो कि खूब बिकती है. पिछले 2 साल में 3 से 4 नई गाड़ियाँ भी निकली है, और सबका अपना अपना बाजार है. इन्होने डूबती हुई "Jaguar and Land Rover" को तमाम कटाक्षो के बाद भी खरीद, और उसे लाभ में ला दिया.
इन सब बातो को बद्देनाजर रखते हुए, हम कह सकते हैं कि टाटा मोटर्स हमारे निवेश के लिए एकदम उपयुक्त है. किन्तु फिर वही बात दोहराता हूँ, कि एक 'Business Cycle' को 10 साल लगते ही हैं, परिपक्व होने में, अतः अगर आप सच में बड़ा लाभ कमाना चाहते हैं, तो आपको इस निवेश में समय देना होगा.
आज के हिसाब से निवेश: जबकि बाजार ख़राब है और सभी अपनी कीमत से कम भाव पर उपलब्ध है, टाटा मोटर्स उनमे से एक मोती है. किन्तु यह मोती उसे मिलेगा जिसमे धर्य है और उतार चढाव में विचलित न होने का संकल्प है.

कितना प्रतिशत धन: आप अपने कुल निवेश के धन में से 10% से 15% तक लगा सकते हैं.

Ten Companies that you can invest for your retirement

As we are going deep into the investment philosophy and  real life examples, we need to keep hunting companies for very very long term investment purpose, such as retirement. In my opinion, just PF or PPF is not sufficient because high inflation rate in India. Another point is that If you are keep investing in few good companies for 15-20 years, stock market risk is almost zero. So I am presenting some 10 companies which qualify such criteria, we should not limit our self to exploring only these. As we analyse more companies, readers must be able to identify other good investment options.

 Common traits of these companies can be found clicking on link below:

Seven traits of a company for long term investment

Lets us introduce our self from these companies: 

Tata Motors

We have already analysed Tata motors for long term investment purpose. Please refer following link to read in Hindi:

HDFC Bank

Mr. Deepak Parekh is known for bringing home loan as a household product to Indians. Being a chairman of HDFC group, we can be assure that our investments are in good hands. In 1986 when he and his father started dreaming about home loan industry, a country dominated by public sector bank, no one could believe that home loan can be a profitable and sustainable business model in India where in 90's loan cost was too high. But this group has changed that perception, and after that every one in the industry try to bring home loan in their portfolio. 


If you look at 10 years price chart of HDFC, it overcome more strongly in every recession. This is a sign of regressive learning, competence and commitment. If we look at profit and loss statement of company, its per share earning increase from Rs. 10.56 in March 2002 to Rs. 84.40 in March 2011. Which is almost 8 times in 10 years and so the stock price. So please mind that stock price follow the earning not vice-verse in long term. 

Balance Sheet Analysis: (Data Source: Moneycontrol.com) There is not meaning of debt to equity ratio to analyse a bank, because all bank take loan either form depositor or from RBI to create liability and give it to a customer to create a asset. So in this light few parameters are important. 
  1. Asset quality: This is measured in term of NPA, non-performing-asset. Each bank has their own set of credibility analysis of a customer. Based on this they decide to give loan or not. However if some how Banks are not receiving monthly EMI or payment on due date, that portion of a loan book is called as non-performing asset. (Please go and find)
  2. Interest Margin: Difference between lended and borrowed interest rate is very important to decide the profitability of a bank. Higher  difference means higher profitability. This range from 2.5 to 3.5 in various years for HDFC which is one of the best in industry. 
  3. Provisioning: Allocation of money for various purposes such as pensions, RBI guidelines, cleanup of loan books etc. Till now HDFC has maintained one of the least provisioning in the industry. 
Along with these ratio, one should also look at following factors: 
  1. Product range: Almost in every category that is allowed by RBI. 
  2. Target region: Pan India Presence. 
  3. Target customers: They are not targeting giving micro-finance loan and loan to Air-India. They are attracting best corporate loans and middle class savings. 
Banking as a sector is most important for the development of any country. So as a portfolio diversification, one need to invest in banks. HDFC is best among the lot.

 Also RBI has very high standard of rules and compliance for Banks, so it is very unlikely that any bank of size HDFC fail in future. This is where the 'Security of Principle' is guaranteed for investor.

I will continue this series to a longer time frame, because I want people to do research on one company at a time as I have promised no 'TIP', so let it not be a tip. 

I will be very happy if some one contradict me on these thoughts along with bring more analysis,  suggestions, questions and doubts. So that you can search 11th company which will not be presented in this list. 

To read some basics in Hindi, click below: 

Seven traits of a company for long term investment

These are 7 initial traits you should look before going deep into studying a company for long term investment. These behavioral pattern are common across all good companies. 
  1. Best corporate practices. Managed by people known for great integrity in business. As I said earlier, "यथा राजा, तथा प्रजा". Means company's seed and culture is build around the personality of CEO. Kind of people he like and vision he has, define rest of the company. 
  2. These companies listed before 10 years , so well know balance sheets available.  They have seen at least two recessions by now. 
  3. Bulls of their domain. They are diversified, category leaders, and giant. This is directly related to survive ability a company for next 10-20 years. Recessions are best friend of these companies. Their sustainability in bad times make them prepared for good times, when other competitors are diminishing.  
  4. They give regular dividend from last 10 years. This is very important. It shows that these companies care for their investor and generate surplus cash flow every year. Dividend re-invest is completely up to you, based on your need 
  5. They have very conservative approach to business. They are in ever green fields of human need. These need can be a shaving blade, an affordable car, a housing loan, or a service needed by most of the other companies using technology. 
  6. High interest of big institutional investors and Mutual funds in the company. Because these fund houses do proper research before investing, and hold for a very long time, one should appreciate number of these investor in a company. 
  7. They do not generate equities neither do buy back frequently. If fact they do not split their share price very often. In this way they try to stop sudden change in stock price. These companies do not measure their performance based on daily high volume on Sensex. Rather, they want investor to become rich not the stock exchange.